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हाइकु 110 / लक्ष्मीनारायण रंगा

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मिलै खुरसी
धन सत्ता नैं भोगां
जय श्री राम


आज श्रवण
मा-बाप नैं पोंचावै
वृद्धाश्रमां में


याद आवै मा
मिट जावै अंधारा
मन आंख्यां रा