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हाइकु 121 / लक्ष्मीनारायण रंगा
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आज री सीख
हाथ पसार मती
बूकिया ताण
चावै उडणो
मती लगा पांखां थूं
पांखां उगाव
देस री नींवां
खोद‘र बणावां हां
नुंवो भारत