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हाइकु 132 / लक्ष्मीनारायण रंगा

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सीतळ पून
ज्यूं धरती माता री
मन आसीस


कमरै घुटी
होबाड़, आंगण नैं
करै गरम


रूंख रो चावै
कितो ई राख ध्यान
पत्ता झरसी