भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हाइकु 180 / लक्ष्मीनारायण रंगा
Kavita Kosh से
ऊमर रेख
कित्ती बडी कै छोटी
बैनैं ऊजळ
नाचती रैवूं
लखचैरासी नाच
था सूं मिलण
आछी तरियां
निभा किरदार नैं
मंच पे आय