भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हाइकु 180 / लक्ष्मीनारायण रंगा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ऊमर रेख
कित्ती बडी कै छोटी
बैनैं ऊजळ


नाचती रैवूं
लखचैरासी नाच
था सूं मिलण


आछी तरियां
निभा किरदार नैं
मंच पे आय