भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हाइकु 84 / लक्ष्मीनारायण रंगा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बणीं मसीनां
मालिक, तो मरैला
मिनखपणो


राजनेता हां
पूंछ भी हिलालां‘र
भूख भी लां


कीं नईं खायो
नीं घर ई बणायो
कांय रो नेता?