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हाइकु 85 / लक्ष्मीनारायण रंगा

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नेताजी कैयो
आत्मघात है पाप
भूखा ई मरो


घणा गरजै
छांट ई नीं बरसै
मंत्रीजी है नीं


सर्चलाईटां
सर्च नीं हो रैया है
खुद रा चै‘रा