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हाइकु 99 / लक्ष्मीनारायण रंगा
Kavita Kosh से
गंगाजळ है
अे परेम रा आंसू
करै पावन
पड़दो पछै
पड़दो पाछौ उठै
तमासो चालू
साच‘र कूड़
इण रै बिचाळै रै
झीणी पड़त