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हाथी और केले वाला / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
हाथी जी ने सुबह-सुबह से,
खाये साठ परांठे।
केले की दुकान पर जाकर,
दो सौ केले छांटें।
केले वाला बोला भाई,
पहले पैसे लाओ।
पैसे चुक जाएँ, केलों में,
तब ही सूंड लगाओ।
हाथी को अंदाज़ ज़रा भी
उसका यह न भाया।
उठा सूंड से केले वाले,
को ही घर ले आया।
केले वाला काँप रहा है,
थर-थर उसके आगे।
ढूँढ रहा है मौका कैसे,
उसे छोड़कर भागे।