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हाथी दादा / लक्ष्मी खन्ना सुमन
Kavita Kosh से
हाथी दादा खूब बड़े
सूँड घुमाएँ खड़े-खड़े
छोटे-छोटे मक्खी मच्छर
कान हिलाएँ बड़े-बड़े
दाँत बड़े हों जिसके इतने
उससे बाबा कौन लड़े
पीठ बहुत हों ऊँची जिसकी
उस पर बाब कौन चढ़े
बड़ा पेट हो जिसका इतना
उसे खिलाए कौन 'बड़े'
इतना पानी कौन भरेगा
पी जाएँ दस-बीस घड़े