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हाथ पर आसमान / ज्ञान प्रकाश विवेक
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लोग ऊँची उड़ान रखते हैं
हाथ पर आसमान रखते हैं
शहर वालों की सादगी देखो-
अपने दिल में मचान रखते हैं
ऐसे जासूस हो गए मौसम-
सबकी बातों पे कान रखते हैं
मेरे इस अहद में ठहाके भी-
आसुओं की दूकान रखते हैं
हम सफ़ीने हैं मोम के लेकिन-
आग के बादबान रखते हैं