हाय गे माय / ब्रह्मदेव कुमार
हाय गे माय, फगुआ मेॅ बूढ़भो बौराय गेलै गे।
हाय गे माय, गरदा-धुरा मेॅ लेटाय गेलै गे
हाय गे माय, दरूवा पीवी केॅ मताय गेलै गे।
हाय गे माय, रंग-अबीरोॅ सेॅ रंगाय गेलै गे
हाय गे माय, बानर-सन मुँहमा बनाय गेलै गे।
हाय गे माय, फगुवा के गीत गावै झूमी-झूमी गे
हाय गे माय, नाची-नाची फगुवा झमकाय गेलै गे।
हाय गे माय, भांग पीबी केॅ भकुवाय गेलै गे
हाय गे माय, फूओ-मालफुओ सबटा खाय गेलै गे।
हाय गे माय, अटपट बोलै बुढ़वा, खटपट करै गे
हाय गे माय, बूढ़बा केॅ कौनें हरसाय देलकै गे॥
हाय गे माय, टुक-टुक ताकै बुढ़वा टुक-टुक ताकै गे
हाय गे माय, अखिया सेॅ कनखी चलाय देलकै गे॥
हाय गे माय, देखी जोवनमां मनमां डगमग करै गे
हाय गे माय, लागै जेना बुढ़वा उमताय गेलै गे॥
हाय गे माय, मार मुझरका बनरबा केॅ
हाय गे माय, खुललै ढेका बूढ़वा छिमताय गेलै गे।
हाय गे माय, गिरलै मुझौसा चितां गिरलै गे
हाय गे माय, तोॅर मुड़ी-उपर ओकरोॅ टांग गेलै गे।
हाय गे माय, फगुवा मेॅ होलिका जराय गेलै गे
हाय गे माय, सब भेद-भाव मिटाय गेलै गे।