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हाले दिल सब को सुनाने आ गए / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
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हाले-दिल सब को सुनाने आ गए
ख़ुद मज़ाक अपना उड़ाने आ गए
फ़ूँक दी बीमाशुदा दूकान ख़ुद
फिर रपट थाने लिखाने आ गए
मार डाली पहली बीवी, क्या हुआ
फिर शगुन ले के दिवाने आ गए
खेत, हल और बैल गिरवी रख के हम
शहर में रिक्शा चलाने आ गए
तेल की लाइन से खाली लौट कर
बिल जमा नल का कराने आ गए
प्रिंसीपल जी लेडी टीचर को लिए
देखिए पिक्चर दिखाने आ गए
हाँकिया ले कर पढ़ाकू छोकरे
मास्टर जी को पढ़ाने आ गए
घर चली स्कूल से वो लौट कर
टैक्सी ले कर सयाने आ गए
काँख में ले कर पड़ौसन को जनाब
मौज मेले में मनाने आ गए
बीवी सुन्दर मिल गई तो घर पे लोग
ख़ैरियत के ही बहाने आ गए
शोख़ चितकबरी गज़ल ले कर 'यक़ीन'
तितलियों के दिल जलाने आ गए