हा ! धूप का फूल / विलियम ब्लेक / अनिल जनविजय
हा ! सूर्यमुखी ! थके हुए समय की गाथा,
जो सूर्य के क़दमों को गिनता औ’ गिनाता,
उस मधुर सुनहरे देश की करता वो तलाश,
लम्बा सफ़र कर हर यात्री जहाँ आता-जाता ।
इच्छा रखें युवा लोग, जहाँ जाने को हो लालायित,
और पीत अछूता सूर्यमुखी हो हिम में दोलायित,
उनकी कामनाओं व आशाओं से जगा - बढ़ा वह
अब सूर्य-पुष्प मेरा जाना चाहे वहाँ होकर रूपायित
अँग्रेज़ी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय
और लीजिए, अब पढ़िए यही कविता मूल अँग्रेज़ी में
William Blake
Ah! Sun-flower
Ah Sun-flower! weary of time,
Who countest the steps of the Sun:
Seeking after that sweet golden clime
Where the travellers journey is done.
Where the Youth pined away with desire,
And the pale Virgin shrouded in snow:
Arise from their graves and aspire,
Where my Sun-flower wishes to go.
—William Blake