भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हिंदी / कुलवंत सिंह
Kavita Kosh से
अभिमान है, स्वाभिमान है,
हिंदी हमारा मान है।
जान है, जहान है,
हिंदी हमारी शान है।
सुर, ताल है, लय, भाव है,
हिंदी हमारा गान है।
दिलों का उद्गार है, भाषा का संसार है,
हिंदी जन-जन का आधार है।
बोलियों की झंकार है, भारत का शिंगार है,
हिंदी संस्कृति का अवतार है।
विचारों की खान है, प्रेम का परिधान है,
हिंदी भाषाओं में महान है।
बाग की बहार है, राग में मल्हार है,
हिंदी हमारा प्यार है।
देश की शान है, देवों का वरदान है,
हिंदी से हिंदुस्तान है।