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हिसाब-किताब / गौतम अरोड़ा

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लै आव
मांडां एक डायरी
अर लिखां उण मांय
जिन्दगी रौ हिसाब-किताब।
थूं जमा बोल
म्है खरचां मांडूं
थूं आमद री सोच
म्है उधारियां गिणूं
थूं थावसां ओळख
म्हैं जासां नै परखूं
थूं आपणां नै सोद
म्है परायां नै बांचूं
थूं ईमानदारी तोल
म्है बेईमानी पिछाणूं
थूं दवाई तो लाव
म्है घावां नै उघाडूं
थूं सुपणां बताव
अर म्है सांच बोलूं
थूं दोस्तां नै मोल
म्हैं घातां नै तोलूं
ले जोड़
फटाफट जोड़
बता
बता म्हनै नफौ-नुकसान
जोड, जोड सगळौ आडोस अर पाडोस
जोड सगळा रिस्ता अर नाता
जोड सगळी सौगना अर वादा
जोड सगळा सुपनां अर ईरादा
जोड सगळा ई सांच
जोड सगळा ई झूठ
जोड लै सगळी ई मेहनत
जोड लै पसीने री अेक-अेक बूंद रौ हिसाब
जोड म्हारै खायोडा धक्का
जोड माथै री सगळी लकीरां
जोड आख्यां रै नीचै री काळस नै
जोड लै रातां में जागणौ
जोड
जोड़ लै मिंदरां मांय जावणौ
जोड़ लै सगळा ई तीज अर तिंवार
जोड़ लै थारा वास अर एकासणा
जोड़ लै सगळा टाणा अर टांकड़ा
जोड़, सावळ जोड
एकर फेरूं देख
कीं चूकगी व्है, तो ई मांड
सावळ सोच, अर थ्यावस ऊं मांड
जोड्या, मांड्या ?
लै बैठ, अबै बताव
जिन्दगी कतरी गई घाटै में ?