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हीणै मन री ओट / नीरज दइया
Kavita Kosh से
म्हनै दीसै
थांरै मन रै आंगणै
सांवटीज्या सात पुड़तां मांय
घांटो मोसणवाळा थांरा हाथ।
म्हारै चेतै रै चांनणै मांय रैवै
थांरै मूंडै री मुळक
अर मीठी बातां
जाणतां थकां ई’ज
म्हैं किंयां बिसराय दूं-
जूनी जंगी तलवारां बसै
म्हारै हीणै मन री ओट।