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हीरामन बेज़ार है उफ़्! किस कदर महँगाई से / अदम गोंडवी

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हीरामन<ref>फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी 'तीसरी क़सम' का नायक</ref> बेज़ार है उफ़्! किस कदर महँगाई से ।
आपकी दिल्ली में उत्तर-आधुनिकता आई है ।

टी० वी० से अख़बार तक हैं, जिस्म के मोहक कटाव,
ये हमारी सोच है, ये सोच की गहराई है ।

सबका मालिक एक है, रटते भी हैं, लड़ते भी हैं,
सदियों के संघर्ष से क्या दृष्टि हमने पाई है ।

जो व्यवस्था को बदलने के लिए बेताब थे,
क़ैद उनके बंगले में इस मुल्क की रानाई<ref>सुन्दरता</ref> है ।

रहनुमा धृतराष्ट्र के पद-चिन्ह पर चलने लगे,
आप चुप बैठे रहें ये क़ौम<ref>राष्ट्र</ref> की रुस्वाई<ref>बदनामी</ref> है ।

शब्दार्थ
<references/>