हीर और राँझा का मिलन हो गया।
हीर तो उसे ढूँढ़ने के लिए भटकती रही
किन्तु प्रियतम राँझा तो उसकी बगल में ही खेल रहा था
मैं तो अपनी सब सुध-बुध खो बैठी थी।
मूल पंजाबी पाठ
हीर राँझे दे हो गए मेले,
भुल्ली हीर ढूँढ़ेदी बेले,
राँझा यार बग़ल विच खेले,
मैनू सुध-बुध रही ना काई।