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हुई है रौशनी अब तीरगी परदे में रहती है / रंजना वर्मा

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हुई जब रौशनी अब तीरगी परदे में रहती है
इबारत इश्क़ की देखो लिखी रस्ते में रहती है

उमंगें जाग उठतीं जब हिना रचती हथेली पर
चमक अरमान की लेकिन सदा चेहरे में रहती है

तुम्हें दिल में बसाया तब हुआ है राज़ यह ज़ाहिर
तुम्हारे बिन हमारी ज़िन्दगी घाटे में रहती है

बनाया आशियाना है तुम्हारी याद का हमने
हमारी जान भी उस याद के पिंजरे में रहती है

हमारे साथ तुम शतरंज का मत खेल यूँ खेलो
हमारे दिल की धड़कन तो इसी मुहरे में रहती है

पहन सेहरा चले आना हमारे दिल की दुनियाँ में
तुम्हारे प्यार की खुशबू बसी सेहरे में रहती है

तुम्हें है लाज जो सौंपी इसे यूँ ही न खो देना
तुम्हारे ख़्वाब की जन्नत बहुत पहरे में रहती है