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हुसैन सागर में गौतम / सुरेश कुमार मिश्रा 'उरतृप्त'

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हुसैन सागर में खड़े हैं गौतम
देख रहे हैं सारा मौसम।
भू, जल, ध्वनि प्रदूषण से
हो गया उनके नाक में दम॥

हर दिन गाड़ियाँ चलती हैं,
इतना शोर करती हैं।
न जाने क्यों गौतम को
कैसे राहत मिलती है॥

जिस जल में वह खड़े हैं भैया,
लोग उसी में कचरा फेंके।
देखकर अपनी मजबूरी को,
वो नो किसी से कुछ भी बोलें॥

हमारी विनती है सरकार से,
उनको दे-दे आक्सीजन सिलेंड़र।
न जाने किस समय हो जाए,
उनको कैंसर पर कैंसर॥

अखबारों में छपती है,
हर दिन खबरें हुसैन सागर की।
अक्सर अनजान लाशें मिलती हैं,
हुसैन सागर की लहरों से॥

मैं तो कहता हूँ गौतम से,
लोगों को मरने से बचाए।
जल प्रदूषण को दूर हटाए,
सरकार को थोड़ा हाथ बंटाए॥

वरना जल प्रदूषण से
एक दिन वे गिर जाएँगे।
फिर कहेंगे पुलिस वाले,
मिली हमको चित परिचित लाश॥