भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हुस्न है इश्क़ की तक़दीर बनाने वाला / रतन पंडोरवी
Kavita Kosh से
{KKGlobal}}
हुस्न है इश्क़ की तक़दीर बनाने वाला
इश्क़ है हुस्न की तौक़ीर बनाने वाला
आये उल्फ़त के गुनहगार जो पेशी के लिए
हंस पड़ा दफ़्तरे-ताज़ीर बनाने वाला
कितने अरमान कुचल डाले हैं उस ने अफ़सोस
काश कुछ सोचता तक़दीर बनाने वाला
हो गया आप भी नख़्चीरे-महब्बत आखिर
दिले-पुर शौक़ को नख़्चीर बनाने वाला
वो ये कहते हैं मिरी ख़ाक उड़ा कर अक्सर
है कोई ख़ाक को इकसीर बनाने वाला
दिल-कशी हुस्ने-दिल आवेज़ की देखे कोई
खुद भी तस्वीर है तस्वीर बनाने वाला
भर दिये सब के लिए रंग मगर मेरे लिए
सो गया नक़्शाए-तक़दीर बनाने वाला।