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हुस्न है दिलकश, तबाही इश्क़ को मंज़ूर है / रमेश 'कँवल'

हुस्न है दिलकश तबाही इश्क़ को मंजूर है
फिर भी जाने क्यों मुहब्बत आजतक मजबूर है

येरूदादे-हुस्ने-माहो-अंजुमे-अफ्लाक1 उफ़
क्या ज़मीं पे कुछ नहीं क्या अर्श2 से ही नूर है

मुफि़लसों3 की रोटियां, अम्नो-अमां4 जीने का हक़
छीनने वालों से मुझको दुश्मनी मंजूर है

येहयाते-मुख़्तसर5 लंबी ये फ़न6 की सरहदें
चल रहा हूं फिर भीगो7 मंजि़ल बहुत ही दूर है

दीद की हसरत है पर वो सामने आते नहीं
एक मुद्दत से 'कंवल’ दीदार से महजूर8 है

1. आकाश के चांद सितारों के सौंदर्य की कहानी 2. आसमान
3. निर्धन 4. शांति-सुरक्षा 5. संक्षिप्तजीवन 6. कला 7. यद्यपि
8. वियोगी।