हेमंतोॅ में बढ़ै छै शीत
मन होय छै भयभीत। 
कानोॅ में गमछी, टोपी केॅ बान्है छै
ओढ़ै दुशाल शाल, कंबलोॅ भी ओढ़ै छै, 
देहोॅ केॅ सूती, ऊनी चदरोॅ से ढांकै छै
नरूवा बिछाय केॅ पिय साथ सुतै छै, 
हिय लागी सुतै छै मनमीत
हेमंतोॅ में बढ़ै छै शीत। 
तापै छै बोरसी, तापै अंगार छै
बूढ़ा लेॅ आग ही, बड़का उपचार छै, 
बच्चा बुतरू सब्भेॅ रोॅ आगे संभार छै
रजाय ओढ़ी रहै सब भोर भिनसार छै, 
गावी केॅ गरमावोॅ भोरकोॅ गीत
हेमंतोॅ में बढै छै शीत। 
गोरी के कमनीय रूपें लुभावै छै
क्रौंच किलोल में प्रेम स्वर भावै छै, 
चटकै कुमुद कलहंस गीत गावै छै
हेमंत करै विलास मंद-मंद मुस्कावै छै, 
केकरो नै जागी जैतेॅ प्रीत
हेमंतोॅ में बढ़ै छै शीत।