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हे गंगे / लता सिन्हा ‘ज्योतिर्मय’
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हे गंगे... हर हर गंगे
तेरी शक्ति को पहचान लिया
तू जीवन दायिनी हिन्द की है
अब तो जग ने भी मान लिया
संबंध स्वर्ग से धरती का
केवल तुझसे ही बनता है
तेरे बाबुल का घर है अंबर
ममता का हमसे रिश्ता है
हठ से जपतप कर भगीरथ ने
जन जीवन का कल्याण किया
जल कंचन कल-कल हो अविरल
शिव जटापाश सम्मान लिया।
मोक्ष दायिनी, पाप नाशिनी
ये औषधियुक्त तेरे जल हैं
एक डुबकी से हुए निर्विकार
जनजन गंगे संग निर्मल है।
जो दूषित करते अब गंगा
अपराधी उनको मान लिया
पाप धर्म की बात नहीं
अब दोषी का संज्ञान लिया....
हे गंगे... हर हर गंगे
तेरी शक्ति को पहचान लिया
तू जीवन दायिनी हिन्द की है
अब तो जग ने भी मान लिया
हर हर गंगे....