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हे जलधर, यदि महाकाल के मन्दिर में / कालिदास
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अप्यन्यस्मिञ्जलधर! महाकालमासाद्य काले
स्थातव्यं ते नयनविषयं यावदत्येति भानु:।
कुर्वन्संध्याबलिपटहतां शूलिन: श्लाघनीया-
मामन्द्राणां फलमविकलं लप्स्यते गर्जितानाम्।।
हे जलधर, यदि महाकाल के मन्दिर में
समय से पहले तुम पहुँच जाओ, तो तब
तक वहाँ ठहर जाना जब तक सूर्य आँख से
ओझल न हो जाए।
शिव की सन्ध्याकालीन आरती के
समय नगाड़े जैसी मधुर ध्वनि करते हुए
तुम्हें अपने धीर-गम्भीर गर्जनों का पूरा फल
प्राप्त होगा।