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हे जी, हे जी, ईब तै सारा जहान बदल ग्या / दयाचंद मायना

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हे जी, हे जी, ईब तै सारा जहान बदल ग्या
नए-नए कानून हिन्द म्हं, नया विधान बदल ग्या...टेक

म्हारा के कसूर ईब तै, सारी ही संसार बदलगी
सात दीप नौ खण्ड मैं दुनियां, नए-नए विचार बदलगी
पहले आली बात रही ना, प्रजा की रफ्तार बदलगी
ब्राह्मण, क्षत्री, वैश्य, शूद्र, हरेक मनुष्य की कार बदलगी
फेसन और रंग, लोग बदलगे, उनसे पहले नार बदलगी
घाघरी दामण की जगह, जम्फर और सलवार बदलगी
मींढी, चोटी, सिर, चुण्डे का नया डिजाईन बदल गया...

जाट-गुज्जर, हीर, ब्राह्मण, बाणिये और गोड़ बदलगे
धरती की अदला-बदली म्हं राही रास्ते रोड़ बदलगे
नदी-नाले, तालाब, बावड़ी पनघट, कुएं, जोहड़ बदलगे
अंग्रेजां का राज बदलग्या, हिन्द के लीडर, खोड़ बदलगे
काजी, मुल्ला, साई, सैयद, घर बदला और ठोड़ बदलगे
हिन्द म्हं पाकिस्तान बणा जब, माणस कई करोड़ बदलगे
काट मार इसी देखी, हिन्दू, मुसलमान बदल ग्या...

पहले से रंग ज्यादा दुनियाँ, ड्योढ़ा दुगणा सवा, बदलगी
खान-पान पहरान प्रजा सारा फेसन नवां बदलगी
पहले आली, बातचीत और पहले आली हवा बदलगी
वैदिक, वैद, हकीम बदलगे, देसी बूटी दवा बदलगी
दो-चारां की गिणती कोन्या, सारी पब्लिक रवा बदलगी
इस धरती के तख्ते ऊपर, हर इन्सान बदल ग्या...