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हे देव बता मुझको / एक बूँद हम / मनोज जैन 'मधुर'

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धृतराष्ट्र पसारे बाँह मिला
मारीच मिला सोना ओढ़े
जस का तस दिखता कोई नहीं
जिसके सम्मुख दो कर जोड़ें
जिसको मन सौंपा प्यार भरा
चल दिया वही दिल ठुकराकर

कुछ बाने पहने सन्तों के
पर मन में अजगर पाले हैं
क्या कहूं जगत के लोगों से
सब के सब दो मुख वाले हैं
आ आकर धीर बॅंधाते हैं
सौ जुल्म पहाड़ों-से ढाकर

कुछ लोग मिले, खुद को कहते
पुरषोत्तम के अवतारी हैं
कुछ पास रहे तब जान सके
यह सबसे बड़े शिकारी हैं
लेते तक एक डकार नहीं
सौ लोगों को जिन्दा खाकर