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हे मेघ, सपाटे के साथ तुम नीचे उतरो / कालिदास

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»  हे मेघ, सपाटे के साथ तुम नीचे उतरो

गत्‍वा सद्य: कलभतनुतां शीघ्रसंपातहेतो:
     क्रीडाशैले प्रथमकथिते रम्‍यसानौ निषण्‍णा:।
अर्हस्‍यन्‍तर्भभवनपतितां कर्तुमल्‍पाल्‍यभासं
     खद्योतालीविलसितनिभां विद्युदुन्‍मेषदृष्टिम्।।

हे मेघ, सपाटे के साथ नीचे उतरने के लिए
तुम शीघ्र ही मकुने हाथी के समान रूप
बनाकर ऊपर कहे हुए क्रीड़ा-पर्वत के
सुन्‍दर शिखर पर बैठना। फिर जुगनुओं की
भाँति लौकती हुई, और टिमटिमाते
प्रकाशवाली अपनी बिजलीरूपी दृष्टि महल
के भीतर डालना।