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हे होली / अनिल कुमार झा
Kavita Kosh से
मिल सभे संग सहेली हे होली
चलो, चलो खेलै ले होली, हे होली।
बिन फागुन के की एकरा पैभेॅ
बरस फेनूं सौंसे हेने बितैभेॅ
दुख-सुख लागथौं पहेली, हे होली।
लाल पियर सब रंग लै आबो
गोरो गोरो गालो पर ओकरा लगाबोॅ,
बिन रंग जीवन ढेली, हे होली।
हाँसी-मुसकी के गल्लोॅ-गल्लोॅ मिलिहोॅ
एक दोसरा के देखी केॅ खिलिहोॅ,
जीवन लागथौं केलि, हे होली।