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हैं सत्य के हमराह ठिठकते कभी नहीं / रंजना वर्मा

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हैं सत्य के हमराह ठिठकते कभी नहीं ।
अपने लिए आदर्श से झुकते कभी नहीं।।

जो शुद्ध आत्म मुक्त है संसार राग से
जाते हैं ठगे और को ठगते कभी नहीं।।

निज स्वार्थ त्याग कर रहे उपकार सभी का
वह अपने सत्य मार्ग से डिगते कभी नहीं।।

घेरे घटा घनघोर उमड़ती हों आँधियाँ
विश्वास के जो दीप हैं बुझते कभी नहीं।।

काँटे लहूलुहान करें या चमन मिले
मजबूत इरादे हों तो रुकते कभी नहीं।।

जो हो गये उदार हैं परोपकार से
मिट जायें किंतु खुद में सिमटते कभी नहीं।।

माँगा किये दुआएँ सदा रब के। सामने
अपने लिए तो हाथ रहे उठते कभी नहीं।।