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है किस के लिए लुत्फ़ ग़ज़ब किस के लिए है / अमीन अशरफ़
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है किस के लिए लुत्फ़ ग़ज़ब किस के लिए है
ये ज़ाब्ता-ए-नाम-ओ-नसब किस के लिए है
मेरे लिए अफ़्सुर्दगी-ए-नख़्ल-ए-तमन्ना
ये सिलसिला-ए-ताक-ए-तरब किस के लिए है
सच पर जो यक़ीं है तो उसे क्यूँ नहीं कहते
आख़िर ये ज़बाँ मोहर-ब-लब किस के लिए है
है जिस पे मोहब्बत की नज़र होगा परेशां
ऐ साना-ए-गुल हिज्र की शब किस के लिए है
जब दिल का तअल्लुक न रहा कू-ए-सनम से
ये कशमकश-ए-तर्क-ओ-तलब किस के लिए है
इस कार-ए-नज़र ने किया तक़दीर का क़ाइल
शब किस के लिए हासिल-ए-शब किस के लिए है