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है नमी तो नहीं कोई कमी / अनुपमा पाठक
Kavita Kosh से
त्याग कैसे दे कोई
जीवन रहते
जीवन को...
आंसू बहते हैं
और समझा लेते हैं
मन को...
आँखों के भर आने से
कितना कुछ
धुल जाता है...
अनगिन बातों का बाँध
अनायास
खुल जाता है...
अब
बारिश के बाद की
इन्द्रधनुषी नीरवता है...
सब ठीक है
कि नमी है जब तक
तब तक कायम जीवन की सुन्दरता है... !!