है बस्ती में भाँगोॅ सें भकुवैलोॅ सबटा लोग लगै / अमरेन्द्र
है बस्ती में भाँगोॅ सें भकुवैलोॅ सबटा लोग लगै
बचलोॅ जे छै, ऊ केकरो सनकैलोॅ सबटा लोग लगै
ई अश्वासन तेॅ बरसौं सें मिललोॅ ऐलोॅ छै मिलतै
अबकी कैन्हें केकरौ पर उहतैलोॅ सबटा लोग लगै
हुन्नें आग लगाबै वास्तें बस्ती में कुछ घुसलोॅ छै
आरो हिन्नें नींदोॅ सें भरमैलोॅ सबटा लोग लगै
सोचै लेॅ होथौं कैन्हेंनी क्राँति कहीं पर जन्मै छै
जबकि जन्हैं देखोॅ तेॅ बौखलैलोॅ सबटा लोग लगै
आरो वक्ती तेॅ टटकै रं सीधलोॅ सोधलोॅ गमकै छै
सत्ता रोॅ सम्मुख कैन्हें बसियैलोॅ सबटा लोग लगै
शान चढ़ाबै लेॅ हो शायर गजल हुवेॅ दौ रेती रं
जात-धरम के जंगोॅ सें बिजयैलोॅ सबटा लोग लगै
भरी दुपहरिया में घामोॅ सें कना बचैतै अपना केॅ
कुरता केरोॅ हत्था पर चुनियैलोॅ सबटा लोग लगै
अमरेन्दर खाड़ोॅ भेलोॅ छै वोट भला कौनें देतै
कोय न कोय पाटी दल सें पटियैलोॅ सबटा लोग लगै
-3.3.92