है मंज़र वही कुछ भी बदला नहीं है
इसे ग़ौर से तुमने देखा नहीं है
सितारों की महफ़िल सजी तो है लेकिन
यहाँ चाँद-सा कोई चेहरा नहीं है
सुनो दिल की मर्ज़ी वह क्या चाहता है
कि दिल पर तुम्हारे तो पहरा नहीं है
खुला आसमाँ है यूँ परवाज़ कर लो
वहाँ तक जहाँ कोई पहुँचा नहीं है
उसे ले ही आयेंगी प्यासी हवाएँ
जो बादल यहाँ आ के बरसा नहीं है
ये दुनिया है क्या इसकी क्या है रिवायत
समझ लो अगर तुमने समझा नहीं है
सराए की दीवार पर लिख रखा है
यहाँ मुस्तक़िल कोई ठहरा नहीं है