Last modified on 18 मई 2020, at 22:33

होंठ जलते हैं मुस्कुराने से / नक़्श लायलपुरी

होंठ जलते है मुस्कुराने से
फिर भी शिकवा नही ज़माने से

यह गीत नक़्श साहब ने एक टी०वी० धारावाहिक के लिए लिखा था। इस गीत के बोल अगर आपके पास हों तो कृपया कविता कोश को उपलब्ध करा दें। हम आपके आभारी रहेंगे।