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होकर बड़ा बनेगा क्या तू? / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
Kavita Kosh से
लोरी गाकर तुझे सुलाती
तभी कल्पना में खो जाती
होकर बड़ा बनेगा क्या तू
सोच सोच कर ही रह जाती
बेटा अगर शिवाजी जैसा
तू रण में रणधीर बनेगा
भारत माँ बलि-बलि जायेगी
उसका सारा कष्ट कटेगा
अगर विवेकानन्द बनेगा
धर्म-पताका फहरायेगी
सकल विश्व में भारत भू की
मिट्टी चंदन बन जायेगी
क्या सुभाष-सा वीर बनेगा
अथवा वसु-सा विज्ञानी
क्या योगी अरविन्द बनेगा
अथवा कोई कवि ज्ञानी
जो भी होगा अच्छा होगा
मैं अधीर क्यों होती हूँ।
मेरा बेटा नाम करेगा
सुन्दर सपने बोती हूँ।