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होठों पर प्यार निसार करूँ / उमेश कुमार राठी
Kavita Kosh से
होठों पर प्यार निसार करूँ
दिल में यह चाह घनेरी है
चुपचाप सुनो ये बात प्रिये
मुस्कान मधुरिमा मेरी है
जब धूप बरसती मूरत पर
देखा तब मैंने वातायन
मधु रश्मि सरसती सूरत पर
पसराया प्रभु ने रूपायन
सचमुच लगता है प्राण प्रिये
ये आभ अरुणिमा मेरी है
चुपचाप सुनो ये बात प्रिये
मुस्कान मधुरिमा मेरी है
आँगन में झूम रहा सावन
जब से तुमने शृंगार किया
तेरी नखरैली चितवन ने
चुपके दिल पर अधिकार किया
तन में माधुर्य समाया है
ये सौम्य तरुणिमा मेरी है
चुपचाप सुनो ये बात प्रिये
मुस्कान मधुरिमा मेरी है
निशदिन सुनके वाणी वंदन
अविभूत करे घर को चंदन
अँगनाई छूकर पुरवायी
जीवन का करती अभिनन्दन
मनमीत सुवासित यौवन की
परिणीत वरुणिमा मेरी है
चुपचाप सुनो ये बात प्रिये
मुस्कान मधुरिमा मेरी है