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होली हाइकू / पूर्णिमा वर्मन
Kavita Kosh से
अबकी साल
बसंती सपने
तुम ही तुम
कितनी बाट
तके मन फागुन
है गुमसुम
नैनों तलक
फ़हरती सरसों
मन चंदन
ढोल मंजीर
धनकती धरती
चंग मृदंग
टेसू चूनर
अरहर पायल
वन दुल्हन
होली आँगन
मन घन सावन
साजन बिन
बंदनवार
बँधे घर बाहर
बड़ा सुदिन
बिसरें बैर
मनाएँ जनमत
प्रीत कठिन
केसर गंध
उड़े वन-उपवन
मस्त पवन
पागल तितली
भटके दर-दर
बनी मलंग
डाल लचीली
सुबह सजीली
खिले कदंब
छ्प्पन भोग
अठारह नखरे
गया हेमंत