हो-ग्या इंजन फेल चालण तैं, घंटे बंद, घडी रह-गी / लखमीचंद
हो-ग्या इंजन फेल चालण तैं, घंटे बंद, घडी रह-गी।
छोड़ ड्राइवर चल्या गया, टेशन पै रेल खड़ी रह-गी॥टेक॥
भर टी-टी का भेष रेल में बैठ वे कुफिया काल गये -
बंद हो-गी रफ्तार चलण तैं, पुर्जे सारे हाल गये।
पांच ठगां नै गोझ काट ली, डूब-डूब धन-माल गये -
बानवें करोड़ मुसाफिर थे, वे अपना सफर संभाल गये॥1॥
ऊठ-ऊठ कै चले गए, सब खाली सीट पड़ी रह-गी।
छोड़ ड्राइवर चल्या गया, टेशन पै रेल खड़ी रह-गी॥
टी-टी, गार्ड और ड्राइवर अपनी ड्यूटी त्याग गए -
जळ-ग्या सारा तेल खतम हो, कोयला पाणी आग गए।
पंखा फिरणा बंद हो-ग्या, बुझ लट्टू गैस चिराग गए -
पच्चीस पंच रेल मैं ढूंढण एक नै एक लाग गए॥2॥
वे भी डर तैं भाग गए, कोए झांखी खुली भिड़ी रह-गी।
छोड़ ड्राइवर चल्या गया, टेशन पै रेल खड़ी रह-गी॥
कल-पुर्जे सब जाम हुए भई, टूटी कै कोए बूटी ना -
बहत्तर गाडी खड़ी लाइन मैं, कील-कुहाड़ी टूटी ना।
तीन-सौ-साठ लाकडी लागी, अलग हुई कोई फूटी ना -
एक शख्स बिन रेल तेरी की, पाई तक भी ऊठी ना॥3॥
एक चीज तेरी टूटी ना, सब ठौड़-की-ठौड़ जुड़ी रह-गी।
छोड़ ड्राइवर चल्या गया, टेशन पै रेल खड़ी रह-गी॥
भरी पाप की रेल अड़ी तेरी पर्वत पहाड़ पाळ आगै -
धर्म-लाइन गई टूट तेरी नदिया नहर खाळ आगै।
चमन चिमनी का लैंप बुझ-ग्या आंधी हवा बाळ आगै -
किन्डम हो गई रेल तेरी जंक्शन जगत जाळ आगै॥4॥
कहै लखमीचंद काळ आगै बता किसकी आण अड़ी रहैगी ?
छोड़ ड्राइवर चल्या गया, टेशन पै रेल खड़ी रह-गी॥