हो चुकी धूमिल निशा पर प्रात का आयात बाकी। 
प्रिय अभी से सो न जाना है अभी तो रात बाकी॥
खोल निदियारे नयन प्रिय तुम ज़रा इस ओर देखो 
बंद मत रखना अधर निज है अभी हर बात बाकी॥
मौन है नीरव निशा तारे इशारे कर रहे हैं
चाँद है तैयार पर सजनी अभी बारात बाकी॥
दूर तक फैला अँधेरा और चुप चुप-सी दिशाएँ 
है अभी घन खंड से कुछ बिजलियों की घात बाकी॥
हो चुकी तैयारियाँ आकाश आमंत्रण बना पर 
प्राण अर्पण क्षण न आया बस यही सौगात बाकी॥