हौ एत्तेक बात सोनिका-मोनिका सुनै छै / मैथिली लोकगीत
हौ एत्तेक बात सोनिका-मोनिका सुनै छै
हा कर जोड़ै छै सखुआ बोनमे
भीड़ जखनी गयलै सोनिका-मोनिका
छीप पकड़ि के सखुआ उखारै छै
अपने करिकन्हा लदना लदै छै
ओतऽ से करिकन्हा हाथी भगा देलकै।
हौ लादल सखुआ कोशीमे जुमि गेल
तब मोतीराम बान्ह बन्है छै
साँसे-साँसे सखुआ बान्ह बन्हल
बान्हा बान्ह तैयारी भऽ गेल
माता कोशिका के महिमा डोलि गेल
तरे से ढ़ोसि मैया कोशी मारल
सबटा सखुआ हौ भाठा दहि गेल
ठकमुड़ी मोती के भऽ गेल
हाय नारायण जुलूम बीतै छै
केना पार हमहुँ उतरबैयौ।।
हौ तखनी तरबा लहरिया चढ़लै
तब मोतीराम जब करैय
सुनिलय हौ भगीना दिल के वार्त्ता
चल चल रौ भगीना गुदरी बाजारमे
चल चल बौआ सेनुरा कीनबै
जान नै छोड़बै एही कोशीके
जाति बभनीयाँ कोशी लगैछै
साँसे बोड़ा सेनुरा उझलबै
कोशी के घरमुआ आइ कोशिका लगमे उतारि देबै रौ।
हौ भागल मोतीराम गुदरी बाजारमे
गुदरी बाजारमे मोतीराम गयलै
सात सय बोरा सन्दुरबा लइहै
सेन्दुर लऽकऽ कोशिका जुमलै
तबे जवाब कोशिका लग करैय
सुनिलय गे कोशिका दिल के वार्त्ता
विपैत पड़ि गेल मोतीराम
तइ बेरमे तू दुश्मन भेल
अइ बेर हम सेन्दुरबा देबौ
जाति बभीनियाँ लगै छै
जाति दुसाध के बेआ लगै छै
जाति घरमुआ तोरा हम बुरा देबौ गे
नइतऽ सुखले नदी कोशिका
पार उतारि देऽऽ
घुरैते बेरीया सरंग लगा देबौ गै।।
एत्ते बचनियाँ कोशी सुनै छै
मोती वचनियाँ कोशी करै छै
सिरा के पानि सीरे सुखै छै
भाठा जल जठेमे रहि गेल
सुखले नदीया पार उतरै छै
कोशी पार मोतीराम भऽ गेल
गरजि-गरजि ताल बौआ मोती ठोकै छै
ताल धमक हौ मोरंगमे जुमि मेल
हा सखुआ-शीशो के पाता हरहर गिरै छै
टाटी पर बेनाटी हौ मोरंगमे लगलै
घैला धैलथरी मोरंगमे फुटै छै
कते गरमी के गरम आइ ढ़है छै
हलचल मचि गेल राज मोरंगमे
कते गरमी के गरमुआ जखनी ढ़हि गेलै हौ।।
मोती धमक जेलमे जुमलै
हा काँटी बलेसरी देवता के उखड़ै छै
तखनी विचार श्री सतबरता करै छै
हाय नारायण हे ईसबर जी
अबै छै बतहबा बौआ सहोदरा
तखनी होश आइ नरूपिया के होइ छै यौ।।
जुमलै मोतीराम राज मोरंगमे
हा राजा हीनपति कोन काम करै छै
महल जाकऽ राजा बैठि गेल
ड्योढ़ी ऊपरमे करणसिंह छेलै
तखनी मोती ड्योढ़ीमे जुमलै
बात-बातमे झगड़ा बझलै
एको तिल जोड़ कम नै होइ छै
सात दिन आइ युद्ध पड़ल छै
जहिना कड़ा युद्ध पड़ै छै
तहिना युद्ध आइ करणसिंह से पड़ि गेलै यौ।।