मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
हौ जइय-जइये, हाट आइ करम सिंह फोड़ैय
आ सुनली बड़ाइ हौ मोतीराम के
हा बाप से भेंट आइ रणमे करेबय
हा जखनी अऔतै राज मोरंगमे
तखनी बदला हम दुसधवा के सधा लेबै हौ।।
हौ सात दिन हौ नरूपिया के बीतै छै
अधहा मासु देह से खसलै
हा सरबर नीर आइ देवता ढ़ारैय
दुर्गा मैया के देवता सुमरैय छै
हा सुन गे सुनलय देवी असावरि
धोखामे मैया सत करौलही
आ गरथ जेलमे मैया हमरा की कऽ देलही गै
राजा हीनपति कोन काम केलकै
भागल गेलै कोशिका लगमे
कड़ा सवाल कोशी के कहैय
सुनिलय कोशिका गय दिल के वार्त्ता
तोरा कहै छी कोशी गय सुनिलय
गै पछिम के मोसाफिर पूरूब नै अऔतै
आ पूरब मोसाफिर पछिम नै जयतै
आ एकहुटा कार हे गै पंछी टपतै
तहि दिन मोसाफिर टपतै
जाति धरम तोहर नइ बचतौ
इज्जति धरमुआ हम कोशिका हम बूरा देबौ गै।।