...अर थे पीटो ताळ्यां / मोनिका गौड़
मजमा पसंद
थे लोग ई हो
जका राम रै साथै होवण रो भरम पाळो
राम रै वनगमन में
सीता रो साथ जायज ठहरावता थकां ई
सोनलिया हिरण रै आखेट सारू
बणाओ सीता नैं ई दोसी
हरण में
लिछमण-रेख उलांघण रै आरोप री
लुकी-छुपी आंगळ्यां ई सीता कानी करता
राम रो दुख मोटो देखो हो
सत्य, पवित्रता रा आंदोलनकारियां
जुध में संघार रो दोस
सीता रै माथै धरता थकां
उकसावो अगन-पारखा सारू
थे ईज हो बै भीड़ री भेड़ां
जकी गरभवती लुगाई नैं
घर सूं कढवाओ
हाका हूक सूं
छद्म न्याव रो ढोंग रचवा’र
दिखावो
राम नैं बापड़ो
धिन्न है थांरी दोरंगी सोच, चिंतना
कै सीता रै निरवासन नैं जायज बतावता
उणरै जमीन में समाईज्यां पछै
स्त्री रै स्वाभिमान री बात करो
बजाओ ताळ्यां
बळी लेय’र निरदोस री
पोमीजो
आपरै दोस नैं सतीत्व रै महिमा-मंडण सूं
ढांपणै री कोसिस करता
रचो सती महिमा रा गीत
थरपो उणनैं देवी
थांरी मजमैबाजी सीता, द्रौपदी सूं लेय’र
आज तांई बा ईज है
हर बार थांरी जबान री वेदी पर
हुवती आई है स्त्री री चारित्रिक, शारीरिक हत्या
अर थे पीटो ताळ्यां?
कदी न्याय रै नांव, कदी धरम रै नांव
कदी मूल्यां रै लेखै,
लेवता रैवो भख
बेकसूर लुगाईजात रो...?