भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

113 / हीर / वारिस शाह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जिनां बेटियां मारियां रोज कयामत सिर तिनां दे वडा गुनाह मियां
मिलन खाणियां तिन्हां जाए अगे जिवें मारीयां जे तिवें खाह मियां
कहीआ माउं ते बाप दी असां मन्नी गल पलड़ा ते मुंह घाह मियां
इक चाक दी गलना करो मूले ओहदा हीर दे नाल निकाह मियां

शब्दार्थ
<references/>