भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

193 / हीर / वारिस शाह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जिवें लोक निगाहे ते रतन थमन भड़थू मारदे रंग लांदियां ने
भड़थू मारके फुमनियां घतदियां ने इक आऊंदियां ने इक जांदियां ने
जेहड़ियां सिदकदे नाच नाल औंदियां ने कदम चुम मुराद सभ पांदियां ने
वारस शाह दा चूरमा कुट के ते देह फातया बंड वंडांदियां ने

शब्दार्थ
<references/>