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231 / हीर / वारिस शाह
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तैनूं चाअ सी वडा वयाह वाला भला होया जे झब वहीजिए<ref>ब्याह होना</ref> नी
एथों निकल गईए भलयां दिनां वांगू अते सौहरे जा पतीजिए नी
रंग रतीए वौहटिए खेडयां दिए कैदो लंगे दिए गुंड भतीजिए नी
चुलियां पा पानी दुखां नाल पाली करमक<ref>करमों को</ref> सैदे दे मापयां बीजिए नी
कासद<ref>खत ले जाने वाला</ref> हीर नूं आखया जायके ते खत चाक दा लिखया लीजिए नी
शब्दार्थ
<references/>