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267 / हीर / वारिस शाह

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खाह रिज़क हलाल ते सच बोलीं छड देह तूं यारियां चोरियां ओए
तोबा कर तकसीर मुआफ तेरी जेहड़ियां पिछलियां सफान घोरियां ओए
ओह छड चाले गवार पुने वाले चुन्नी पाड़ के कीतियां मोरियां ओए
पिछा छड जटा कौतां सांभ लइयां जो सी पाड़ियां खड दियां बोरियां ओए
जो अराहकां<ref>हल जोतने वाला</ref> जोत रत्ना लईए जेहड़ियां अरलियां<ref>शरारतें</ref> भंनियां तोड़ियां ओए
धोये धोये के मालकां वर लइयां जेहड़ियां चाटियां कीतियां खोरियां ओए
रौले विच तैं रेढ़या कम चोरी कोई खरचियां नाहीं बोरियां ओए
छड सब बुरायाइयां पाक हो जा ना कर नाल जगत दे जोरियां ओए
तेरी आजज़ी इजज़<ref>नम्रता</ref> मंजूर कीता ताहियें मुंदरां कन्न विच सोरियां ओए
वारस शाह ना आदतां जांदियां ने भावे कटिए पोरियां पोरियां ओए

शब्दार्थ
<references/>