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300 / हीर / वारिस शाह

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सुनी जोगीआ गभरूआ छैल बांके नैनां खीवियां मसत दिवानियां वे
कन्नीं मुंदरां सुंदरां सेलियां नी दाहड़ी पट सिर भवां मुनानियां वे
विचों नयन हसन होठ भेत दसन अखीं मीचदा नाल बहानियां वे
किस मुंनयों कन्न किस पाड़योनी तेरा वतन है कौन दीवानियां वे
कौन जात ते कासनूं जोग लया सच सच ही दस मसतानियां वे
एस उमर की पायदे पए तैनूं क्यों भौणा ए देस बेगानियां वे
किसे रन्न भाबी बोली मारीया हो हिक साडीया सू नाल ताहनियां वे
विच त्रिंजणां पवे विचार तेरी होवे जिकर तेरा चकी हानियां वे
बीबा दस शिताब<ref>आपणा</ref> है जी जांदा असीं धुप दे नाल मर जानियां वे
करन मिनतां मुठियां भरन बहके हुा पुछ के असीं टुर जानियां वे
वारस शाह गुमान न करीं मियां ऐवें हीर दया माल खजानियां वे

शब्दार्थ
<references/>