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306 / हीर / वारिस शाह
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आ वड़े हां उजड़े पिंड अंदर काई कुड़ी ना त्रिंजणी गांवदी ए
नाह किलकली पांवदी ना सम्मी<ref>एक नाच का नाम</ref> पबी मार नी धरत कंबांवदी ए
नहीं झहेटड़ी दा गीत गांदियां ने ते गिधड़ा कोई ना पांवदी ए
वारस शाह छड जाईए एह नगरी ऐसी तबह<ref>तबीयत</ref> फकीर दी आंवदी ए
शब्दार्थ
<references/>