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313 / हीर / वारिस शाह
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वेहड़े जटां दे मंगदा चा वड़या अगे जट बैठा गां मेलदा ए
सिंगी फूक के नाद घुकाया सू जोगी गज के जा विच ठेलदा ए
वेहड़े विच अवधूत जा गजया ए मसत साहन वांगूं डंड पेलदा ए
हू हू करके संघ टडयो सू फीलबान<ref>महावत</ref> जयों हसती नूं पेलदा ए
शब्दार्थ
<references/>